मानसून आते ही वात और कफ से जुड़ी समस्याएं जैसे जोड़ों का दर्द, स्नायु शिथिलता, मांसपेशियों में जकड़न, सर्दी और थकान आम हो जाती हैं। ऐसे में यदि कोई एक बहुउपयोगी आयुर्वेदिक औषधीय तेल आपकी रक्षा कर सकता है, तो वह है – महानारायण तेल। यह तेल न केवल स्नायु, अस्थि और त्वचा के लिए उपयोगी है, बल्कि मानसून में वात विकार से होने वाली समस्याओं का समाधान भी देता है।
महानारायण तेल एक क्लासिकल आयुर्वेदिक तेल है, जिसका वर्णन अष्टांग हृदय, चरक संहिता और भैषज्य रत्नावली जैसे शास्त्रों में मिलता है। यह मुख्यतः तिल के तेल में अनेक औषधीय जड़ी-बूटियों को पकाकर बनाया जाता है। यह वात नाशक, वेदना हर, बलवर्धक और स्नेहन (त्वचा में गहराई तक प्रवेश करने वाला) तेल है। “नारायण” नाम ही इसका आध्यात्मिक पक्ष दर्शाता है- यह देह में दिव्यता, शक्ति और शुद्धता का संचार करता है। पारंपरिक रूप से इसे योगियों, पहलवानों, और वृद्धजनों द्वारा सदियों से उपयोग किया जा रहा है।
“वातं पित्तं च ये रोगा स्नायुषु बाधकाः स्मृताः । तेषां नाशाय शक्तोऽयं महानारायणाभिधः।।”
( वात-पित्त जन्य रोगों का संहारक है यह महानारायण तेल ।)
महानारायण तेल कैसे बनता है?
इस तेल को तिल तेल में 50 से अधिक जड़ी-बूटियों के क्वाथ, कल्प और कल्क के साथ पकाया जाता है। प्रमुख औषधियाँ: • अश्वगंधा – शक्ति और वातशमन दशमूल वात नाशक हरीतकी, आंवला, बिभीतकी – त्रिफला तंत्र शोधन सिंदूर, केशर, कपूर – रक्तसंचार व पीड़ा नाशक
दूर्वा, मंजिष्ठा, , शतावरी – त्वचा व शीतलता देने वालीयह तेल पारंपरिक आयुर्वेदिक संस्थानों द्वारा विशेष विधियों से बनाया जाता है, जिसमें शुद्धता और औषध का विशेष ध्यान रखा जाता है।
शक्तिका बला: स्नायु और जोड़ बलवर्धक
महानारायण तेल के घरेलू उपयोग:
जोड़ों के दर्द और घुटनों की सूजन में
विधि: हल्का गर्म करके जोड़ों पर 10 मिनट तक मालिश करें। लाभ: सूजन, जकड़न और दर्द में राहत, रक्त संचार बेहतर
स्नायु विकार, लकवा, कमज़ोरी में
विधि: पूरे शरीर पर हल्का गर्म तेल लगाकर मालिश करें और उसके बाद गुनगुने पानी से स्नान करें।
लाभ: नसों को पोषण, स्नायु सक्रिय, तनाव में कमी
पीठ और गर्दन की अकड़न में
विधि: दर्द वाले स्थान पर 5-10 मिनट तक मालिश करें, फिर गर्म पानी की पट्टी रखें।
लाभ: स्पॉन्डिलाइटिस, स्लिप डिस्क जैसे मामलों में सहायक त्वचा की शुष्कता और खुजली में
विधि: नहाने से पहले शरीर पर तेल की हल्की परत लगाएं और 20 मिनट बाद स्नान करें।
लाभ: त्वचा में स्निग्धता, खुजली में आराम
बच्चों और बुज़ुर्गों के लिए उत्तम
बच्चों में मांसपेशियों की वृद्धि और हड्डियों को मज़बूती देने के लिए सप्ताह में 2 बार मालिश करें।
बुजुर्गों में गठिया, जकड़न, अनिद्रा व कमजोरी में यह तेल अमृत तुल्य है। कैसे करें प्रयोग?
पूरे शरीर पर गुनगुने तेल से मालिश- स्नान से 30 मिनट पूर्व जोड़ों पर हल्का गर्म करके दिन में 2 बार- सुबह-शाम
त्वचा पर नहाने से पहले लगाएं सप्ताह में 2-3 बार बच्चों में स्नान से पहले हल्की मालिश – सप्ताह में 1-2 बार ! सावधानियाँ
अत्यधिक गर्म न करें, हल्का गुनगुना ही रखें
तेल लगाने के बाद पंखे के सामने न जाएं खुले घावों या संक्रमण वाली त्वचा पर न लगाएं ठंडी प्रकृति के व्यक्तियों को चिकित्सकीय सलाह से ही लगाएं
महानारायण तेल का उपयोग:
बारिश के मौसम में वात दोष बढ़ता है ऐसे में महानारायण तेल का नियमित स्नेहन (मालिश) शरीर को ऊर्जा, लचीलापन और आरोग्यता प्रदान करता है।
निष्कर्ष
महानारायण तेल न केवल एक औषधीय तेल है, बल्कि यह शरीर, मन और ऊर्जा को सन्तुलित करने वाला संपूर्ण आयुर्वेदिक उपाय है। मानसून में जब वात बढ़ जाता है, तब यह तेल संजीवनी बूटी जैसा कार्य करता है • दर्द मिटाए, त्वचा निखारे, नसों को पोषण दे और शरीर को नवचेतना प्रदान करे।